मंगलवार, 24 मार्च 2009

साहसी पत्रकार प्रेरणा कौल

पिछले दिनों परवेज मुशर्रफ भारत आया था।
एक साहसी पत्रकार प्रेरणा कौल ने उससे पुछा ,"मै काश्मीरी पंडित हूं,मेरा घर श्रीनगर में है पर मैं वहाँ जा नहीं सकती,होटल में रूकना पड़ता है,वहाँ जाना नामुमकिन है।क्या आप बता सकेगें कि कब हम वहाँ जा सकते है?
मुशर्रफ कुछ देर के लिये सन्नाटे में आ गया।
इस सवाल का जवाब भारत को भी देना होगा ।
स्वच्छन्द पाकिस्तान की आवाज आप्को भी।

गुरुवार, 12 मार्च 2009

रहमान तुम्हारी मक्कारी ,जय हो

पिछले दिनों स्लम डाग के गाने जय हो की धूम थी,लेकिन एक बात आपने गौर की?
रहमान तो सभी न्युज,व आसकर क मंच पर छाये थे पर इस गाने को गाने वाले सुखविंदर सिंह कहीं नहीं दिखे क्यों?
रहमान की मक्कारी की वजह से(मुसलिम होते ही ऐसे हैं)
रहमान ने आस्कर में सुखविदर के साथ गाने का प्रक्टिस किया कि इनाम के बाद स्टेज पर गाया जायेगा?पर पुरस्कार के पहले रहमान ने सुखविंदर का फोन उठाना बंद कर दिया
तथा अगले दिन पुरस्कार के बाद बताया कि तुम्हारा वीजा नहीं बन पाया?
हाँ सुखविंदर मुसलिम होते या आतंकवादी होते तो वीजा बन जाता पर इतने बडे़ पंजाबी सिंगर थे इस लिये नहीं बन पाया।
तुष्टीकरण की जय हो।

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2009

इतिहास या मजाक

इतिहास क्या होता है,कौन लिखता है ये बहुत बड़ा प्रश्न है।
कल मै पूरू व सिकन्दर की लडा़ई के बारे में पढ़ रहा था जो कि
हालीवुड की फिल्म से कम रोमांचक नहीं था।
पूरु के पास हजारों बडे़-बडे़ हाथी थे,लाखों सैनिक थे लेकिन
फिर भी वे सिकन्दर के सिर्फ सैकडो़ सिपाहियों से हार जाता है।
यानि की सिकन्दर के एक सैनिक पुरू के हजारों सैनिकों को मार गिराते हैं।यह विचाराधीन है(हालीवुड की फिल्मों में ही ऐसा होता है)।

अच्छा आज जो हो रहा है वही कल का इतिहास होगा और उसे अर्जुन सिंघ जैसे लोग ही लिखेंगे तो आइये मै पचास साल बाद का इतिहास क्या लिखा जायेगा मै वो आपको बताता हूँ।
१-भारत इटली के हाथों संचालित है क्योंकि इटली वासी सोनिया गाधी भारत के प्रधानमंत्री को अपने इसारों पर नचाती थी।
२-अफजल गुरू भारत का इतना महान हसति था कि उसे फाँसी चढा़ने कि हैसियत किसी में नहीं थी।
३-भारतीय लोग स्ल्म डाग होते हैं क्योंकि आस्कर जैसा प्रतिष्ठित पुरसकार उसे ही मिलता है।
४-नेहरू ,इन्दिरा,राहुल ,सोनिया ,प्रियन्का इत्यादि के नाम पर लाखों स्कुल कालेज ,पार्क इत्यादि बताते है भारत गाँधी परिवार का गुलाम था।
इतिहास या झूठ का पूलिन्दा

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

मुम्बई पर हमला करने वाले मुसलिम थे(

मैं यहाँ पर आपको logic के बारे में विस्तार से नहीं बताने जा रहा बल्कि मै इसके एक भाग के बारे में जो मै जानता हूँ बताने जा रहा हूँ।practical phylosophy के दो ब्रान्च होते हैं इथिक्स व लाजिक ।ये दोनो अपने आप में पढ़ाये जाने वाले कालेज के कोर्स हैं,मै बस थोडा सा बताने जा रहा हूँ।लोजिक के भी दो ब्रान्च होते हैं,epistemology and dialectics मै दोसरे प्रकार को समझाने जा रहा हूँ क्योंकि यह हमें सोचने के सही तरीके के बारे में बताता है।dialectics के तीन भाग होते हैं
1-simple apprehension
2-judgment
3-reasoning
1-simple apprehension-इसका मतलब होता है किसी बात के बारे में बस उपरी तौर पर जानना जैसे,
यह एक पेन है।
यह एक आम है इत्यादि?
2-judgment-इस तक पहुँचने के लिये दो simple apprehension की आवश्य्क्ता होती हैजैसे- यह एक पेन है(simple apprehension)
यह लाल है(simple apprehension) judgement (यह एक लाल पेन है)
मुम्बई पर हमला करने वाले मुसलिम थे(simple apprehension) संसद पर हमला करने वाले भी थे (simple apprehension)
मुसलिम आतंकवादी होते हैं judgement 3-reasoning-जिस तरह दो simple apprehension जरूरी हैं judgement तक पहुँचने के लिये उसी तरह दो judgement जरूरी हैं reasoning तक पहुँचने के लिये।यह एक अच्छी किताब है।यह मुझे पसंद है।अत: मुझे अच्छी किताबे पसंद हैं।

रविवार, 15 फ़रवरी 2009

एक तरफ चोर हैं तो एक तरफ डाकू

अफजल गुरू को फासी नहीं देना?
मुसलिम तुष्टीकरण?
मुम्बई में बिहारियों पर हमला?
अंतुले प्रकरण?
भारतीय गरीबों की नुमाईस(राहुल गाँधी द्वारा)?
अमरनाथ भूमि प्रकरण?
नवीन चावला के मदद से?
इन सब के बाद भी सायद काग्रेंस फिर सत्ता में आ जाये इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है कि आज भारतीय राजनीति विकल्प विहीन हो गई है?
एक तरफ चोर हैं तो एक तरफ डाकू?
अब अकेला मै क्या कर सकता हूँ।
कुछ लोग मुझमें कुछ ज्यादा ही इन्टरेस्ट ले रहे है,मेरा पता जनना चाहते हैं,मैने देश के लिये क्या किया जानना चाहते हैं।मै किस जाति का हूँ जानना चाहते हैं तो उनको मै बताना चाहता हूँ मै केन्द्रीय मन्त्री महावीर प्रसाद के लोक्सभा क्षेत्र बाँसगाँव का रहने वाला हूँ,मैने उनको सिर्फ पोस्टरों मे देखा है इस समय जो कत्ल के जुर्म में न्यायालय द्वारा दंडित हैं फिर भी मंत्री बने हुये हैं?
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सिबू सोरेन को इन्होंन्ने (कांग्रेस) ने इस्तिफा देने पर मजबूर कर दिया काग्रेस वाले होते ही हैं मक्कार?मीडिया भी सिर्फ भाजपा वालों को कोसता है।क्यों उनको मुसलिम व ईशाई मशिनरियों द्वारा फंड जो मिलता है?

बुधवार, 21 जनवरी 2009

मुसलिम आतंकवादी नहीं होते।

ज्ञात है:- अमेरीका में हमला,ब्रिटेन में हमला ,मुम्बई पर हमला ,दुनिया में होने वाले अधिक्तर आतंकवादी हमला।
सिद्ध करना है:- मुसलिम आतंकवादी नहीं होते।
रचना:-इन हमलो के अभियुक्तो का मिलान करें।
उपपत्ती:-इन सभी घटनाओं में पाये गये सभी अभियुक्त मुसलिम(आतंकवादी) हैं इससे कोई
फर्क नहीं पडता।वो सिर्फ बहक गये थे।उनका बचाव दीनबन्धु व अजय मोहन जैसे बुकर पुरस्कार प्राप्त विजेता कर रहें है अत: इन सब तथ्यों से स्पष्ट होता है कि
मुसलिम आतंकवादी नहीं होते। इति सिद्धम