बुधवार, 3 दिसंबर 2008

आतंकवादी ,आम आदमी से बेहतर

दो महीने पहले मैने भी बैंक मे खाताव एटीएम खुलवाने के लिये बैंक मेंफार्म भरा था।कलर्क ने १२-१५ दिन बाद बुलाया मै दुबारा गया तो मुझेफिर कुछ दिन बाद आने को कहागया।मजबूरी थी सो मुझे फिर जनापडा़ ।इस बार मुझे कहा गया कि आपका फार्म खो गया है फिर सेफार्म भरना पडेगा।मैने दुबारा फार्मभरा।फिर मुझे कभी यहां कभी वहांनचाया गया ।मेरे भी सब्र का बाँधटूट गया मैंने भी कलर्क को गालीदी व बाहर निकलो भिर बताताहू वाला पुराना डायलाग मारा।और वापसआ गया।
आज पेपर पढ़ कर मुझे बहुतदुख हो रहा है कि मै एक आमआदमी था इसलिये मुझे खाताखुलाने में इतनी परेशानी हुईजबकि मुंम्बई में पकडे गयेआतंकवादियो के पास क्रेडिट कार्डमास्टर कार्ड सब था।

कोई टिप्पणी नहीं: