सोमवार, 10 जनवरी 2011

साहरुख जैसे भडूये तय करेंगे कि कौन क्रिकेट खेलेगा व कौन नहीं


वही हुआ जिसका अंदेशा था,
सौरव गांगुली जैसे क्रिकेटर अब साहरुख जैसे भडूओं के रहमोंकरम पर रहेंगे?
अब क्रिकेट कम नौटंकी ज्यादा होगी?
क्रिकेट में भडूये आयेंगे तो यही होगा?
अब क्रिकेट अपनी फिल्म या बिजनेस चमकाने का तरीका मात्र है?
माई नेम इज खान इसका उदाहरण है?
पहले सौरव को निकाला पब्लिसिटी के लिए?
अब बुला रहे हैं अपनी कंपनी का मैनेजर बनाने,थोडी और पब्लिसिटी बटोरो?

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