गुरुवार, 27 मई 2010

अपने दोस्तो को चौंकाये

आप के दोस्त के पास एक फोन जाएगा बिना नम्बर के?
जब वो उसको चेक करेंगे तो वो ये देखकर हैरान हो जाएगें कि उन्हे उनके ही फोन नुम्बर से फोन आया था।
क्यों है ना मजेदार ट्रिक
step1- www.mobivox.com पर जाएं
step-2 उस पर अपना अकाउन्ट बनाये लेकिन फोन नं अपने दोस्त का डालें
step-3आप को e-mail वैरिफाई करने को कहा जाएगा करें
step-4अब साईट पर आके लोग इन करे व डाइरेक्ट काल आब्सेन पर जा के अप्ने दोस्त के नं को डायल करें
आप इस साईट से इन्डिया में कहीं बात कर सकते हैं।

मंगलवार, 25 मई 2010

देश बड़ा या परिवार


"मुझे कभी कभी लगता है कि नौजवानों को ये ज़िम्मेदारी संभालनी चाहिए. जब भी पार्टी ये फ़ैसला करेगी मैं ख़ुशी से कुर्सी छोड़ दूँगा." -मनमोहन सिह
राहुल गांधी के राजतिलक का सवाल पर  उन्होंने फिर वही इम्प्रेशन दिया जिसे वह अब तक ख़त्म करने में विफल रहे हैं और वह यह है कि इस कुर्सी पर वे सिर्फ़ उस वक़्त तक बैठे हैं जब तक राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार नहीं हो जाते.
क्या लाचारी है?जिस देश का प्रधान मंत्री इतना लाचार हो उससे क्या उम्मीद की जा सकती है|
कुर्सी कुछ भी करा सकती है. मतलब साफ़ है कि जिस तरह दिवंगत सीताराम केसरी के साथ हुआ, वैसा मनमोहन सिंहजी के साथ न हो इसलिए वो पहले ही कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हैं. लगता है मनमोहन सिंह का ये सपना जल्द पूरा होने वाला है. पर कौन जानता है कि कांग्रेस को अगली बार ये गद्दी मिले कि नहीं.

जब तक राहुल गाँधी जैसे लोगों का देश की सबसे ऊंची कुर्सी के लिए सिर्फ़ इसलिए हकदार होना नहीं रुकता कि वो अपने मुंह में चाँदी की चम्मच लेकर पैदा हुए, मुझे नहीं लगेगा कि मैं एक स्वतंत्र गणतंत्र में रह रहा हूँ. मैं नहीं कहता कि उनमें प्रतिभा नहीं है, पर मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे स्कूल का चपरासी का बेटा जो जेएनयू से पढ़कर प्रोफेसर बना है, उनसे ज्यादा मेधावी था और है - तो वो क्यूँ नहीं?

बुधवार, 19 मई 2010

नक्सली सबसे बड़े आतंकवादी:रमन सिंह


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि 'देश के कई हिस्सों में आतंक मचाने वाले नक्सलवादी सबसे बड़े आतंकवादी हैं और भारत के लोकतंत्र को सबसे बड़ा ख़तरा नक्सलवाद से है.'
दिल्ली आए रमन सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में कहा, "ये लोग देश के जवानों को मार रहे हैं, नागरिकों की हत्या कर रहे हैं, स्कूल-बैंक-रेलवे लाइन उड़ा रहे हैं -इससे बड़ा आतंक क्या हो सकता है."
चलिए आप में हिम्मत तो है ये कहने की |

क्या गरीब आदमी नक्सली हो सकता है?


जो दो वक्त की रोटी (सोनिया अम्मा की कृपा से)बडी़ मुस्किल से जुटा पाता है।
जो अपने बच्चों को भुखे मरते देखता है।
जो जी तोड़ मेहनत करता है और बदले में गालियाँ खाता है।
उसके पास ए के -४७ कहाँ से आ सकता है?
देश में ७०% आबादी गरीब है अगर वो ए के -४७ उठा ले तो फिर अम्मा को इटली जाना पडे़गा।
कुछ दिनों पहले अरंधुती राय कथित बुद्धिजीवि नक्सलियों के साथ कई दिन गुजारकर आई व उनके दुख दर्द की बात करते हुए कह्ती है कि नक्सली भी आम आदमी हैं उन तक विकास नहीं पहुँच पाया इसलिए वे नक्सली बन गये।
तो धर्म निरपेक्ष लेखिका अरंधुती राय जी(धर्म निरपेक्ष होने में अपने बाप का क्या जाता है)अगर नक्सली विकास चाहते हैं तो वे सडक ,स्कूल इत्यादि क्यों उडा़ देते हैं?
विकास का मतलब ये है कि उन्हें ए के -४७ बाँटा जाए?

भारत दुर्भाग्य विधाता

नक्सली और आतंकवादी में क्या अन्तर है?
नक्सली वोटर हैं बस यही सबसे बड़ा अन्तर है।
वे कुछ करे पूरी बटालियन उडा़ दे
लाखों निर्दोष लोगों को मारते रहें
कान्ग्रेस जैसी ,........(जाने दीजिए कोई उपमा ही नहीं मिल रहा)पार्टी कुछ नहीं करेगी।
बहुत होगा चिदम्बरम स्तिफा देंगे जिसे अम्मा जी ठुकरा देगी
आजकल जो दलितों(आजादी के इतने साल बाद)को चूमने चाटने में दूलारने में लगी हैं।

सोमवार, 17 मई 2010

songs.pk से गाना डाउन्लोड ना करें


songs.pk  से गाना डाउन्लोड ना करें

यह एक पाकिस्तानी साईट है।
इसकी कमाई सात से आठ करोड़ प्रति दिन है।
यह पैसा आतंक वादीयों के काम आता , व इस पैसा का उपयोग
भारत के विरुद्ध किया जाता है।

शुक्रवार, 14 मई 2010

आठ चीजे जो इंटरनेट के कारन मारी गयी

 क्या आपने सोचा है की इंटरनेट किसी को मार भी सकता है ?
नीचे आठ चीजे दी जा रही है जो इंटरनेट के कारन मर गयी -
विनम्र असहमति(ब्लॉग कमेन्ट )
पत्र लिखना(ई मेल )
यादास्त(याद करना )
दिवास्वप्न (पहले हम चीजो को दिन में सपने में इमैजिन करते थे अब गूगल में सर्च मार कर तुरंत देख लेते है )
खेलो के परिणामो का इंतजार(अब नेट पर तुरंत जान लेते हैं )
एकाग्रता (रेडिएशन की वजह से )
आउट डोर गेम (कम्पुटर गेम )
डायरी लिखना (अब लोग ब्लॉग लिख रहे है )
जो चीजे रह गयी हैं आप कमेन्ट करे मै लिस्ट में जोड़ दूंगा|

बुधवार, 12 मई 2010

बडे आराम से चूतिया बन जाते हैं हम


कुछ महीने पहले गोरखपुर में मानव हित सेवा संस्थान नामक संस्था आती है लोगों को रोजगार देने का झासा देती है और शुरू में सबसे तीन से पाँच हजार रू लेती है और करोडों रू गरीबों का ले के भाग जाती है।


पिछले महीने गोरखपुर में ,काल सेंटरों  की बाढ़ आई थी जो इ मेल बनाने का काम लोगो से करा के शुरू में कुछ लोगों को पैसा दे के फिर लोगों से पैसा ले के उन्हें भर्ती करती है और करोडो रू ले के फरार।

पिछले दिनों यू पी पुलिस की भर्ती निकली थी।जिसमें दावा किया गया कि रिटेन परीछा का Answear key परीछा के दो घटे बाद व परीछा परीणाम दो हफ्ते में आ जाएगा।Answear key महीने भर में आया व परिणाम का कुछ पता नहीं।कई लडके दलालों को पैसा तीन से चार लाख तक दे चुके हैं।जिनमें एक लाख शुरू मे ही देना है जो मायावती बहन के पास जाएगा व बाकी ज्वाइनिंग के बाद देना है।

पिछले दिनों स्वास्थ्य कर्मी का फार्म निकला था उसका भी यही हाल है एक लाख शुरू मे ही देना है जो मायावती बहन के पास जाएगा व बाकी ज्वाइनिंग के बाद देना है।
ये सब खुले तौर पर हो रहा है मीडिया अन्त में क्यों सक्रीय होती है जब लाखो बेरोगगार छले जा चुके होते हैं।कूछ दिन हो हल्ला होता है फिर बात खत्म।

कहीं मीडिया को भी अपना हिस्सा तो नहीं मिलता अन्त में सक्रीय होने के लिए?
इस घूसखोरी के लिये हम भी जिम्मेदार है जो बिना सोचे समझे पैसा दे देते हैं।

सोमवार, 10 मई 2010

45% वाले ग्रेजुएट कहाँ जाएँ


अपने up में लाखों लोग हर साल ग्रेजुएसन करते हैं।
जिनमें 60%से अधिक 45% वाले ग्रेजुएट हैं।
सरकार ने उनके B.Ed. में सामिल होने से मना कर दिया है।
वे क्या करें?
कहाँ जाए?
मनरेगा मे जाएँ क्या?
सरकार बताये वे कहाँ जाए?
उनका जुगाड़ नहीं था सो 45% ही आया इनमें उनका क्या दोस है?
क्या उन शिक्षकों का दोस नहीं जिनके पढाने से अधिकतर छात्र 45% पाते हैं क्या उनकी कमी नहीं?

धौनी की जिद के आगे हारा भारत


एक ही काम करके अलग पल की उम्मीद करना पागलपन है।
सिनीयर कहते रहे की हमें पाँचवे बालर के साथ मैदान मे उतरना चाहिए पर धौनी ने अपने पिछले गलत फैसले को सही करने की जिद में भारत को हरवा दिया।
धौनी ने अपने जिद मे सौरव गागुली जैसे सिनियर खिलाड़ी को यह कह कर कि वो फिल्डिग नही कर सकते कह कर टीम से निकलवाया।
तो धौनी साहब अब आप सिनियर है और कप्तान भी क्यों न आप को भी निकाल दिया जाय क्योंकि आप की कप्तानी में पूरी टीम खराब खेल रही है?

रविवार, 9 मई 2010

要友誼長存,我們必須原諒彼此的小缺點。गूगल बाबा की जय हो

要友誼長存,我們必須原諒彼此的小缺點。
अगर आप के ब्लॉग पर ऐसा कमेन्ट मिले तो क्या करेंगे ?
मेरे तो कुछ समझ में नहीं आया|
भीर मुझे गूगल बाबा याद आये 
मैंने गूगल ट्रांसलेट खोला और इसको उसमे पेस्ट कर दिया भीर हिंदी में ट्रांसलेट कर दिया तो इसका अर्थ मुझे पता चला 
"दोस्ती हमेशा के लिए, हम एक दूसरे की छोटी असफलताओं को माफ करना होगा."
 और मुझे ये भी पता चल गया की यह चाइनीज भासा है 
गूगल बाबा की जय हो

मम्मी मैं आपसे प्यार करता हूं।


कर्ज
जब ज्यादातर लोग अपने पर्स या पाकेटबुक्स में देखते हैं ,तो क्रेडिट कार्ड, बच्चों की तस्वीरों और हरे टिकटों के नीचे आमतौर पर मुड़ी-तुडी़ कविता रखी होती है।मैं कुछ समय पहले अपने पर्स की साफ सफाई कर रहा था।वहां पर मुझे ढे़र सारे आईओयू मिले,जिनमें कुछ का कर्ज तो मुझे ३० साल पहले चुकाना था।
अजीब बात यह है कि ये सारे आईओयू एक ही व्यक्ति के नाम है और मुझ पर उसका ढेर सारा कर्ज है।मुझे लगता है कि मुझे इसी समय उस कर्ज का हिसाब देना चाहिये।
मम्मी, क्या आप सुन रहीं हैं?
मम्मी,मुझे आपका बहुत सारा उधार चुकाना है बहुत सारी सेवाओं की कीमत अदा करनी हैं।उदाहरण के लिए,रात को आप पहरेदार का काम करती थीं।मेरे खासने और रोनेकी आवाज सुनकर आप जाग जाती थीं
और जब मैं रात को देर से घर लौटता था,तो आप चरमराते फर्श की आवाज सुनने का इंतजार करतीं रहती थीं।आपकी आँखॆ बाज की तरह तेज थीं और आप शेरनी की तरह दहाडती थीं,लेकिन आपका दिल बहुत विशाल था।मुझे आपकी कुक, शेफ और बेकर की सेवाओं का उधार चुकाना है-हैम बर्गर.टर्की,मछली बनाने और दो लडकों को बड़ा करने की सेवाओं का भी।मुझे आपकी सफाई की सेवाओं का उधार चुकाना है।आप हर दिन मेरे चेहरे और कानोंको साफ करतीं थीं-सारा काम हाथ से होता था-और छोटे से लडके के पैंट से बार बार धूल झाडती थीं,ताकि वह हमेशा बेदाग जिंदगी जिए।और बचपन के आंसू पोंछाना तथा बढ़ते बच्चे की समस्याओं को मिटाना,जो कोई लान्ड्री कभी नही कर सकती।

मुझे बाडीगार्ड के रूप में आपकी सेवाओं का उधार चुकाना है-तूफानों और बुरे सपनों और बुरे सपनों और युवाअवस्था की ढेर सारी डरावनी चीजों के आतंक से मुझे बचाने के लिये।
और ईश्वर जानता है कि बीमारी में मेरा ध्यान रखने के लिये मुझे आपका कितना उधार चुकाना है-अपने खसरे,गल्सुए,चोंटो कटने-फटने और बुखार में मेरी देखभाल की थी।और हमें डाक्टरी सलाह को नहीं भूलना है-ओह नहीं
-आपने मुझे बहुत सी महत्वपूर्ण बातें बताई है-घाव को खुजाओगे तो यह ठीक नहीं होगा मुझे आपका यह उधार भी चुकाना है
कि मैं जिस भी आवारा कुत्ते को घर ले आता था,आप उसे खिलाती पिलाती थीं।मुझे मनोरंजन के लिये भी आप का उधार चुकाना है-जिसकी वजह से घर बहुत मुश्किल दौर से गुजर पाया-दिवाली ,होलीऔर जन्म दिन के समारोह-और आपने बहुत ही कम खर्च ये समारोह मनाए।
मुझे निर्माण कार्य के लिये भी आपका उधार चुकाना है-पतंगे,आत्मविश्वास, आशाएं और सपने बनाने के लिये किसी तरह आपने उन सभी को आसमान तक पहुँचा दिया।और परीवार को ईकठ्ठा रखने के लिये भी मुझे आपका उधार चुकाना है,जिससेयह बुरे से बुरे थपेडो़ और झटकों के बावजूद खड़ा रह पाया।आपनें एक ऐसी ठोस नींव रखी,जिस पर मेरी जिन्दगीं का महल खडा़ हो सके।
मुझे लाने-ले जाने के लिए भी आपका उधार चुकाना है जीवन की उन आवश्यकताओं के पुर्ति के लिये,जो एक बढ़ते हुए बच्चे को पूरी करनी ही थीं।जैसे ऊंचे जूते,जिनमे बगल में छोटी जेब हो।और मम्मी एक चीज कभी नहीं भूल पाऊंगा-जब एप्पल पाई के सिर्फ दो टुकडे़ बचते थे और तीन लोग भूखे होते थे,तो आप ही होती थीं,जो अचानक यह फैसला करती थीं कि आपको एप्पल पाई नहीं चाहिए।मैंने सिर्फ चन्द चीजें गिनाई हैं।इनके अलावा और भी बहुत सी चीजे हैं,जिनके लिये मुझे उधार चुकाना है।जिस व्यक्ति को मुझे यह उधार चुकाना है,उसने बहुत सस्ते मे यह कार्य किया।उसने अपनी जरूरतों क त्याग करके यह सब किया।
मेरे आईओयू इतने ज्यादा हैं कि मै कभी उनका भुगतान कर सकता।लेकिन अच्छी बात यह है कि मैं जानता हूं कि वे सारे बिलों पे लिख देंगी,’पूरा अदा किया’शर्त सिर्फ इतनी है
कि मुझे उन्हें एक बार चूमना होगा और ये छ्ह शब्द कहने होंगे-
मम्मी मैं आपसे प्यार करता हूं।

शनिवार, 8 मई 2010

अफजल गुरू की नहीं हुई तो कशाब की क्या होगी?



अफजल व कशाब दोनों ने देश पर हमला करने की सजिस की दोनों को फासी
की सजा हुई पर क्या कान्ग्रेस उन्हें फासी देगी?
उसके वोट बैंक का क्या होगा?
उसके आजमगढ़ के वोटरों का क्या होगा?
दिग्विजय जैसे माओवादियों व आतंकवादियों के समर्थकों का क्या होगा?
कुलदीप नैयर व अरून्धती राय जैसे आतंकवादियो के हितैसी क्या ऐसा होने देगें?
अफजल गुरू तो सीधे सीधे कहता है कान्ग्रेस के राज मे मेरा बाल बाका नहीं हो सकता?
हमारे बहत्तर जवान मरे कुछ हुआ क्या?
कुछ होगा तो मनमोहन इस्तिफा देगे जो कबूल नहीं होगा?
बस हम भी खुस वो भी खुस?
मौलान मुलायम   का क्या होगा?
यही है इन्डिया मेरी जान?

शुक्रवार, 7 मई 2010

हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है


क्या आप गरीबो की मदद करना चाहते हैं?
क्या आप भूखो को भोजन दिलाना चाहते है?
अगर हम सफल होना चाहते है तो पहले हमें दूसरों  को सफल करना होगा हम खुद ब खुद सफल हो जायेंगे
अब आप कहेंगे की हम कैसे दूसरों  की मदद कर सकते हैं जब हमारे पास ही पर्याप्त नहीं है|
तरीका मै बताता हूँ-
आप www.freerice.com पर जा के vocabulary गेम खेल सकते हैं|हर सही जवाब पर दस grain चावल गरीबो में वितरित कर दिया जाएगा|
यानी आपकी वर्ड मीनिंग भी बढ़ेगी  व आप खुद पर गर्व भी कर सकते हैं की मैंने गरीबो की मदद की 
हम सब का जन्म सफल होने के लिए हुआ है|
वार्निंग -इस साईट  पर जाकर आप स्मार्ट व गरीबो के मददगार हो सकते हैं|

बर्बरता का प्रतिक -ताजमहल


शाहजहाँ ने ताजमहल बनने वाले कारीगर का हाथ कटवा दिया था|

मुमताज उसकी सातवीं पत्नी थी |
क्या अब भी आप ताजमहल को प्यार का प्रतीक कहेंगे |
तो कहिए मै क्या कर सकता हूँ|

जल्लाद हाजिर है


आज समाचारों में मैंने सुना की कस्हब को फासी देने के लिए कोई जल्लाद देश में मौजूद नहीं हैं|अधिकतर रिटायर हो गए हैं |तो कशाब को फांसी देने के लिए मै जल्लाद बनने को तैयार हूँ|