शुक्रवार, 7 मई 2010

जल्लाद हाजिर है


आज समाचारों में मैंने सुना की कस्हब को फासी देने के लिए कोई जल्लाद देश में मौजूद नहीं हैं|अधिकतर रिटायर हो गए हैं |तो कशाब को फांसी देने के लिए मै जल्लाद बनने को तैयार हूँ|

1 टिप्पणी:

karunesh pandey ने कहा…

ye kam mai bhi kar sakata hoo