prashant's blog
शुक्रवार, 7 मई 2010
जल्लाद हाजिर है
आज समाचारों में मैंने सुना की कस्हब को फासी देने के लिए कोई जल्लाद देश में मौजूद नहीं हैं|अधिकतर रिटायर हो गए हैं |तो कशाब को फांसी देने के लिए मै जल्लाद बनने को तैयार हूँ|
1 टिप्पणी:
karunesh pandey
ने कहा…
ye kam mai bhi kar sakata hoo
7 मई 2010 को 3:48 am बजे
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ye kam mai bhi kar sakata hoo
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